Friday, May 11, 2012

Dedicated to my Late Grand Father

जो तू होता आज यहाँ, 
तुझको "तू" न कहती मै |
इतनी दूर तू बैठा है,
तुझको माँ - सा याद करती मै |

एक उसे तू कहा,
एक तुझको तू कहती मै |
मिलता था तो "आप" कहती,
काश तब भी "तू" वाला  प्यार करती मै |

तेरे बिना घर घर नहीं लगता,
तेरे बच्चों को अब डर नहीं लगता |
जिन्हें खिलाता था तू दाल रोटी,
शायद भूल गए हैं सूरत तेरी |
बेटा बेटी पोता पोती,
सब भूल गए हैं सीरत तेरी |

अब तो लगता है जैसे,
एक तू ही आखरी बरगद था |
तेरे जैसा मन क्या,
तेरी आह जैसा कोई दिल ना रहा |
तेरी पूजा जैसा कोई मंदिर ना रहा,
तेरे घर जैसा कोई छत ना रहा |

गिन गिन कर दिन अब काट टी मै,
तेरी खातिर चुप रह जाती मै |
जो तू होता आज यहाँ,
सबको चुप कर जाती मै |
जो तू होता आज यहाँ, 
तुझको "तू" न कहती मै |

2 comments:

  1. Yun to dekhe hain hazaaron diye na jaane kitne mehfil me..
    Tufaan se jo shart rakhe..tune wo diya dikhaya tha kabhi

    -Anonymous 'Poker'

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